देखना है ज़ोर कितना बाज़ुएँ कातिल में हैं।
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो जो तेरी महफिल में हैं
ऐ शाहिदें मुल्क मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफिल में हैं
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में हैं ।
खिंच कर लायी हैं सबको कत्ल होने की उम्मीदें,
आशिकों का जमघट ऊंचायें कातिल में हैं,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुएँ कातिल में हैं,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुएँ कातिल में हैं।
शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मिटने वालो का बाकी निशाँ होगा ।
जाने कितनो की तकदीरें बदलनी है तुमको,
जाने कितनो को अभी रास्ते पे लाना है,
तकदीरें बदलने का हूनर जानती हो तुम,
इन लकीरों से बहुत आगे जाना है तुम्हे ।
"May the insanity and romance never die, cheers !"